रिश्ता हुआ उनसे, युही नहीं पुराना…
बुलाते सब हमें, पगला दिवाना…
सोचता हुँ, रिश्ते भी क्या अजीब हे…
सँवारो तो, हे शराब…
जितनी पुरानी मज़ा भी निराली…
ना संभालो तो, हे तेज़ाब…
दे जाती ज़ख़्म, ले जाती खुशाली…
– शीतल पटेल
रिश्ता हुआ उनसे, युही नहीं पुराना…
बुलाते सब हमें, पगला दिवाना…
सोचता हुँ, रिश्ते भी क्या अजीब हे…
सँवारो तो, हे शराब…
जितनी पुरानी मज़ा भी निराली…
ना संभालो तो, हे तेज़ाब…
दे जाती ज़ख़्म, ले जाती खुशाली…
– शीतल पटेल